दरअसल, टीकमगढ़ जिले के अंतर्गत आने वाले हटा गांव में बीते रोज एक दलित परिवार में विवाह होना था। यहां स्य़ानीय परंपरा के अनुसार, दूल्हे को रछवाई (राछ) फिरना होता है। इस रस्म के तहत दूल्हा को शादी से पहले घोड़ी पर बैठकर पूरे गांव में घूमना होता है। इस रस्म को पूरा करने के बाद दूल्हा के रिश्तेदार और समाज के लोग टीका कर उसे सम्मान स्वरूप उपहार देते हैं। लेकिन बुंदेलखंड में सामंतशाही के चलते आज भी ग्रामीण अंचलों में दलित समाज का दूल्हा विवाह के दौरान घोड़ी पर चढ़कर गांव में नहीं घूम सकता।पुलिस की निगरानी में दूल्हा ने पूरी की रस्म ऐसे में विवाद से बचते हुए वैवाहिक रस्में पूरी करने के लिए दूल्हे के परिवार वालों को शादी की खुशी को बनाए रखने के लिए पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ी। आवेदन मिलने पर पुलिस के अधिकारियों ने पहले गांव में जाकर लोगों को समझाइश दी। साथ ही रस्म अदाएगी के दिन भी किसी अप्रीय घटना से बचने के लिए सब इंस्पेक्टर की निगरानी में दूल्हे को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था दी गई। इसके बाद दूल्हा घोड़ी में बैठकर पूरे गांव में घूमा और बिना किसी विवाद के राछ की रस्म पूरी की गई। ऐसे में विवाद से बचते हुए वैवाहिक रस्में पूरी करने के लिए दूल्हे के परिवार वालों को शादी की खुशी को बनाए रखने के लिए पुलिस से सुरक्षा की गुहार लगानी पड़ी। आवेदन मिलने पर पुलिस के अधिकारियों ने पहले गांव में जाकर लोगों को समझाइश दी। साथ ही रस्म अदाएगी के दिन भी किसी अप्रीय घटना से बचने के लिए सब इंस्पेक्टर की निगरानी में दूल्हे को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था दी गई। इसके बाद दूल्हा घोड़ी में बैठकर पूरे गांव में घूमा और बिना किसी विवाद के राछ की रस्म पूरी की गई।
Source: NDTV November 20, 2024 08:24 UTC